Wednesday, June 1, 2011

दिल के दीवारो दर - सुदर्शन

दिल के दीवारो दर पे क्या देखा
बस तेरा नाम ही लिखा देखा। (सुदर्शन फाकिर)

बातों में तेरी, गुरूर सा,
उस गुरूर का हमें सुरूर सा,
ये चर्चा महफ़िल में मशहूर सा,
आधा तो झूठ ज़रूर था,
था उतना ही सच, हमने जितना देखा ।

इस नाम का ता-उम्र दम भरते रहे,
आयत सा, इसे पढ़ते रहे,
इस में हमने पाक़ खुदा देखा,
इसी बहाने, दिल का बुत्त्खाना बना देखा ।

एक मुक्कम्मल से अरमान का धोखा देखा
आँखों में शायद अश्क रहे,
दिल के दीवार-औ-दर पे तेरा नाम,
इस बार जो देखा, तो ज़रा धुंधला देखा ।

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