Saturday, June 25, 2011

शायर की ज़िन्दगी

क़र्ज़ की ज़िन्दगी, शायर की ज़िन्दगी ।

एक मुट्ठी मायूसी,
दो दाने मुफ़लिसी,
जाम भर मसर्रत,
दो पल हसरत,
किसी की दवा, किसी के मर्ज़ की,
क़र्ज़ की ।

नाम का लहू,
ना-काम का ग़ुस्सा,
लफ्ज़ का गुरूर,
बेख़ुदी का सुरूर,
अश्क, उन्स, मन्नत,
दोज़ख़, जन्नत,
ख़्वाब, ख्वाहिश, ख़लिश,
दर्द की तारीख़ जो किसी ने दर्ज की,
क़र्ज़ की ।

जो 'बाक़ी' रह गया,
उस में उम्र काट ले,
बड़ी आसानी से,
ख़ुशी से भी ग़म छाँट ले ।
उम्र से कब्र,
बेसब्र है बेसब्र,
बेज़ार भी बेदार भी,
कुछ ले लिया हर किसी से,
मिला लिया अपनी ख़ुदी में,
सुख़नवर है, दर-बा-दर है,
बहुत खुश-बद-नसीब है,
ख़ुदा का रक़ीब है
ख़ुद से परे,
हर किसी से क़रीब है ।

ख़ुश है, जब बदनाम है,
ख़ुश है, जब ग़मज़दा,
जब है फ़ना, या है फ़िदा,
जब भरा हो पैमाना,
और जब ख़ाली हो मयकदा
इश्क़ है हर किसी के खले से
अपनी कमी मिटा ले,
हर किसी के खले से,
मतलबी है, मासूम नहीं,
मग़रूर है, महरूम नहीं ।
अशआरों में हिम्मत,
हौंसलों के किस्से,
बातें,
मुहब्बत, उसूल, कायदों की,
बातें, बस बातें
किसी से जज़्बात, किसी से हालात,
किसी से चुरायी कहानी फ़र्ज़ की
शायर की ज़िन्दगी, क़र्ज़ की
कायर की ज़िन्दगी
शायर की ज़िन्दगी ।

1 comment:

Garima said...

dont have words...dont know how to say. wohi do chaar shabd hain hum jaison ki dictionary mein - mindblowing, your best ever, you've never written something like this...its mad, its beauuutiful, its something else!! - par ye iss sab ke beyond hai...ek ek line, ek ek stanza class apart. dare i say - it sums up your entire poetry ever...and yet i know there's lots more to come. this is a landmark creation.