9GB Zindagi
शायर को उम्र से यूँ भी क्या चाहिए? इश्क़, ग़ुरूर और मजाल काफ़ी है
Friday, June 24, 2011
मिर्ज़ा
चल मिर्ज़ा औथे चलिए, जित्थे सारे अन्ने,
मैं बस आंखां ना तेरा, तूं बस मेरी सुन्ने ।
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