Friday, June 10, 2011

Signal पर एक लड़का मिलता है

Signal पर एक लड़का मिलता है,
ग़म बेचता है ।

अखबार में लपेट कर,
सुर्ख़ खूँ से दीखते हैं हु-ब-हु
पुरानी मुस्कुराहटों की याद दिलाते हैं
तो ज़ाहिर है, आज के ग़म हैं,
पता नहीं कोई उसे क्यूँ,
दो थप्पड़ रख के नहीं देता,
जिस दाम पर लोगों ने बाज़ार से उठाया है,
उस से भी कहीं कम बेचता है
Signal पर एक लड़का मिलता है,
ग़म बेचता है

Signal पर एक लड़का मिलता है,
ख़ुशी बेचता है ।
सुनहरी धूप सी मुस्कुराती,
सुर्ख़ - होंटों सी,
हंसी से बनी, हंसी
किसी भी गुस्से की दवा
एक मुट्ठी मेहेकी हवा,
एक इज़हार,
एक इंतज़ार की ज़िन्दगी,
१० रुपये में जैसे,
एक आशिक़ की आशिक़ी
एक शायर की मौसिक़ी बेचता है
Signal पर एक लड़का मिलता है,
ख़ुशी बेचता है ।

Signal पर एक लड़का मिलता है,
उम्मीद बेचता है ।
शायद कभी, भूले से,
एक १० का नोट इतना काम आ जाएगा,
उम्र के सारे मायने ताज़ा कर जाएगा,
शायद इनकी परछाई,
उसकी आँखों को किसी दिन सियाह कर देगी,
शायद कभी, उसकी आँखों में
मेरा अक्स नज़र आएगा,
किसी दिन शायद,
मेरी जुबां की भाषा में इनका स्याह रंग भर जाएगा,
अमावस्या की रात में जैसे,
फ़रेब-ऐ-ईद बेचता है,
Signal पर एक लड़का मिलता है,
उम्मीद बेचता है ।

Signal पर एक लड़का मिलता है,
याद बेचता है ।
उसके चेहरे में भी एक मलाल सा रहता है,
शायद उसने भी खोया हो कोई,
उस दिन से ही शायद ये काम कर लिया उसने,
इतनी सुर्खी किसी के जाने के बाद ही नज़र आती है,
काली-उजली ज़िन्दगी में रंग भर जाती है,
हर साल, मेरी हर बात, उस तक पहुंचाती है,
क्यूँ गया वो? रंग सारे ले गया वो?
अब जैसे उसी का है ये रंग,
जो कोई उसके जाने के बाद बेचता है ।
Signal पर एक लड़का मिलता है,
याद बेचता है ।

आज बहुत मुद्दतों बाद मैं घर से निकला,
तो एक ख्याल, याद आया,
सोच में खोया सा मैं, जब उस Signal पर आया
तो याद आया,
इसी Signal पर एक लड़का मिलता था,
फूल बेचता था ।

1 comment:

Garima said...

dont have words for this one...outstanding! instantly thought-provoking and so so visual. i want to go back to each and every stanza. it gives me something different, something new. totally unlike your usual style. absolutely totally love this one :-)