Monday, August 26, 2013

गोटे काटो

एक क़त्ल का हक़ तो बनता है
जैसी अब Situation है।

साली शुरुआत ही ऐसी हुई थी

दुर्योधन ने जांघ पर, बैठने को जब कहा था
ज़रा झटके से जाँघों के बीच
बैठ जाती जो  द्रौपदी
क्या महाभारत होती
शरीर की सबसे नाज़ुक हड्डी
टूट के हाथ में होती।

कृष्ण ने तो उल्टा मज़ा बढ़ा दिया
क्या घंटा जांघ पे बैठने से बचा लिया?

तभी बात सुलट जाती
जब उठा ले गया था रावण
साला एक लात नाभि के 4 inch नीचे
ज़रा ज़ोर से मार देती मय्या सीता
ऐसी मय्या होती उसकी
निकालने के डर से साला
कभी पानी न पीता।

व्यास और वाल्मीकि को ये मंज़ूर नहीं था शायद
लगता है दोनों को गोटों पर घमंड था।
साला दोनों के पास एक ल*& था।
 अपने हिस्से में सुख
औरत को दर्द ही रखता है
क्या करें साला अपने देश में
औरत की कहानी मर्द ही लिखता है

कहने को लाखों हैं देवियाँ
पर कहने में ये क्यूँ होता है
की भगवान् बनाता है।
किसने लिंग देखा है उसका ?

अगर अलग line होती है औरतों की
तो एक क़त्ल का हक़ तो बनता है
Womens' Quota अगर मिलता है उनको
तो एक क़त्ल का  हक़ तो बनता है

जैसी अब Situation है भाई
राह चलते गोटे काटो
Comment मारे तो गोटे काटो
सीटी मारे तो काटो गोटे
नज़र उठाये तो गोटे काटो
जमा कर लो सारे तुम
एक एक bag भर के गोटे बाँट दो
हर सरकारी Office में
हर Police Station में
हर राखी पे येही बांधो तुम
जहाँ लगने चाहिए थे
ये वहीँ नहीं हैं

अब एक ही नारा लगाओ नारी
भारतीय नारी! सबकी मारी।

Monday, August 12, 2013

नाम न पूछो अब मेरा, मज़हब मेरा इश्क़
काम न पूछो अब मेरा, मतलब मेरा इश्क़