9GB Zindagi
शायर को उम्र से यूँ भी क्या चाहिए? इश्क़, ग़ुरूर और मजाल काफ़ी है
Sunday, June 12, 2011
शिक़ायत
शिक़ायत अंधेरों से क्यूँ हो, ये नूर से लड़ते हैं
शिक़ायत नूर से हो, जिससे अँधेरे बनते हैं
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