Wednesday, July 13, 2011

फिर मिला था Worli वाला दोस्त

"क्यूँ भाई, मुझे बेवकूफ बना कर पेश कर दिया कविता में?"
"खुद हीरो बन गए. जैसे की आप ही को चिंता है.
"डूबते Planes की... ट्रेन के accident की?"

आज सुबह फिर मिला था worli वाला architect
खूब बजायी मेरी.
मैंने कहा -"पर बात तो सही थी मेरी"
यहाँ दुनिया मर रही है और तुझे Delhi Belly की पड़ी है"
तुनक कर कहता है
"हाँ साले! तूने बड़ी बदल दी दुनिया!"
"लिख कर Facebook पर डाल दी कविता
4 comments मिल गए. हो गया खुश?"
मैंने कहा - "मैंने कम से कम इतना तो किया.
कविता तो किसी और चीज़ के बारे में भी लिख सकता था"
कहता है - "हाँ हाँ - अच्छी तरह से जानता हूँ तुझे
तू शायर है पर शायरों सा बेवकूफ नहीं है"
पता है तुझे - लोग क्या पढ़ना चाहते हैं. खैर."
मैंने गुस्सा रोका और कहा - "हाँ तो तूने कौन सा खम्बा उखाड लिया?
Delhi belly का sequel बनने से रोक लिया क्या?"
टट्टी मिलेगी - फिल्मों में, और अखबारों में. क्या कर लोगे?"
थोडा संभला और बोला - "hmmm. बात तो सही है तेरी.
anyway... drink बनाऊं?"
जवाब का इन्तेज़ार किया नहीं उसने
पानी और शराब को मिलता देख कर मुझे कुछ याद आया
मैंने झट से पूछा - "तुझे पता है बिपाशा और शाहिद यार..."
उसने मुझे टेढ़ी नज़र से देखा और बोला
"साले... अब मैं लिखूं कविता?"

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