9GB Zindagi
शायर को उम्र से यूँ भी क्या चाहिए? इश्क़, ग़ुरूर और मजाल काफ़ी है
Sunday, March 27, 2011
शेर अकेला
फिर यूँ हो, शाम हो, और चार गुना परछाई हो,
फिर यूँ हो, महफ़िल हो, तन्हाई हो
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