Wednesday, March 2, 2011

सेहर न हो

कभी यूँ भी आ मेरी आँखों में, की मेरी नज़र को खबर न हो,
मुझे एक रात नवाज़ दे, मगर उसके बाद सेहर न हो। - बशीर बद्र

पूरा चाँद हो, चाँद की Outline बनाएं हम,
हम पर चाँद की नज़र न हो ।

जागे रहें पूरे ३ पहर,
रात चौथा पहर न हो ।

ज़हर और सच का स्वाद एक सा होता है,
पर रात जो हो, ज़हर न हो ।

तेरे नाम के पर्चे लिख लिख कर समंदर में डाले हैं,
जिस पर तेरा नाम न हो, ऐसी एक लहर न हो ।

1 comment:

ritu said...

GOOD HINDI IS OK