कभी यूँ भी आ मेरी आँखों में, की मेरी नज़र को खबर न हो,
मुझे एक रात नवाज़ दे, मगर उसके बाद सेहर न हो। - बशीर बद्र
पूरा चाँद हो, चाँद की Outline बनाएं हम,
हम पर चाँद की नज़र न हो ।
जागे रहें पूरे ३ पहर,
रात चौथा पहर न हो ।
ज़हर और सच का स्वाद एक सा होता है,
पर रात जो हो, ज़हर न हो ।
तेरे नाम के पर्चे लिख लिख कर समंदर में डाले हैं,
जिस पर तेरा नाम न हो, ऐसी एक लहर न हो ।
1 comment:
GOOD HINDI IS OK
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