Monday, May 16, 2011

सदमा तो है मुझे भी

Beautiful ghazal by Qateel Shifai.

सदमा तो है मुझे भी, के तुझसे जुदा हूँ मैं,
लेकिन ये सोचता हूँ, के अब तेरा क्या हूँ मैं ।

बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद,
बेकार महफिलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं ।

क्या जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है, के सब कुछ तेरा हूँ मैं ।

ले मेरे तजुर्बों से सबक, ऐ मेरे रकीब,
दो चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं - क़तील शिफ़ाई

My version starts here

जी लूं तेरी नज़र से ज़रा, पल दो पल को मैं,
इस एक पल की ख़ातिर, पल पल मरा हूँ मैं ।

पूछूं तेरा पता तो हैं क्यूँ हैरान से ये लोग,
अरबों की इस भीड़ में, मुझे ढूँढता हूँ मैं ।

तुझसे क्या शिकायत, क्यूँ रखूँ शिकवा कोई भी मैं ,
तेरी हूँ बेबसी मैं, तेरा गिला हूँ मैं ।

तन्हाईयों में रहा मैं तो ता-उम्र,
तुझसे मिला तो अब तो और भी तन्हा हूँ मैं ।

दर से तेरे उठा नहीं, मरने के डर से मैं,
इतना तो तुझे पता हो, के कैसे मरा हूँ मैं ।

लफ़्ज़ों में तेरे क्यूँ मुझको ही ढूँढ़ते हैं लोग,
इतना हूँ करीब के ग़ुम हो गया हूँ मैं ।

तुझको क्या गरज़ है बता, मौत से मेरी,
तेरे ही नाम से तो, अब तक जिया हूँ मैं ।

क्यूँ मुझसे करती है सवाल ये तेरी नज़र,
ये ख़ुद ही बोलती हैं, के अब तेरा क्या हूँ मैं

मेरे साथ मेरी कब्र में जाएगा ये गिला,
के सदमा तो है मुझे भी, तुझसे जुदा हूँ मैं
लेकिन ये सोचता हूँ, के अब तेरा क्या हूँ मैं ।

1 comment:

Dasbehn said...

Its sung beautifully by Jagjit Singh too... you are not a fan no? If you can bear Chitra Singh's voice (I quite like her, listen to Dil e nadan tujhe hua kya hai.. and also.. ek na ek shamma.. I especially like the latter...and this sher in it-
Damaane yaar ki zeenat na bane har aansoo, apni palkon ke liye kuch to bachaye rakhiye... :-)