Sunday, June 28, 2009

बरसात

The first two lines are written by my ex-boss Shifa. Credit goes to her!


हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ।

पैमानों में भर भर रंगीन पानी,
हल्का सा निम्बू निचोड़ दिया,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

चाह लगाए बैठे थे, खो जायेंगे सुरूर में,
धोखेबाज़ बरसात ने उम्मीद का रुख मोड़ दिया,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

मौसिकी के इस मौसम में, यूँ ही नशा रहता है,
उठाया पैमाना और धड़ल्ले से तोड़ दिया,
न बरसी शराब तो न सही,
हमने आज से पीना छोड़ दिया, आज से पीना छोड़ दिया,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

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