The first two lines are written by my ex-boss Shifa. Credit goes to her!
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ।
पैमानों में भर भर रंगीन पानी,
हल्का सा निम्बू निचोड़ दिया,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ।
चाह लगाए बैठे थे, खो जायेंगे सुरूर में,
धोखेबाज़ बरसात ने उम्मीद का रुख मोड़ दिया,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ।
मौसिकी के इस मौसम में, यूँ ही नशा रहता है,
उठाया पैमाना और धड़ल्ले से तोड़ दिया,
न बरसी शराब तो न सही,
हमने आज से पीना छोड़ दिया, आज से पीना छोड़ दिया,
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया ।
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