Thursday, July 24, 2008

आसमान


आज आसमान सफ़ेद है,
थोडी मस्ती हो जाए!


हरे - हरे पत्तों की पेस्ट बना कर,

थोड़ा सा गुलाब का रंग निकाल कर,

छिड़केंगे आसमान पर,


या फिर मिट्टी में पानी मिलाकर,

पोथेंगे और भूरा कर देंगे सारा आकाश,

फिर थोडी रौशनी के टुकड़े उठा कर,

छोटे-छोटे तारे बना कर,

टांगेंगे आसमान पर।

अच्छा है उस से पहले, मिट्टी थोडी सस्ती हो जाए,


आज आसमान सफ़ेद है, थोडी मस्ती हो जाए!


रंग लेकर जामुन से, समुन्दर से नीला पानी ले कर,

लेंगे नारंगी - संतरों से, hari hari क्यारियों से लेंगे हरियाली,

शिमला के सेबों से ले लेंगे लाली,

बनाएँगे नया एक इन्द्रधनुष, चाहे कितना भी दांते माली,


पर पहले सारी बस्ती सो जाए,

आज आसमान सफ़ेद है, थोडी मस्ती हो जाए!


खेतों की पकती धान से, चुरा लेंगे सुनेहरा रंग,

उस में थोड़ा गुड़ मिला कर, करेंगे थोड़ा गहरा रंग,

खाने की प्लेट से, एक गोला बनेगा,

सीधी-सीधी लइनों से, किरणों को रूप मिलेगा,

लो बन गया है सूरज, अब थोडी सी धूप हो जाए,


आज आसमान सफ़ेद है, थोडी मस्ती हो जाए!


Mummy की चमकीली साड़ी है,

कोना लेंगे उस में से,

सफ़ेद-सफ़ेद पानी मिला कर उस में,

चमकीला कर देंगे और थोड़ा,

बंटी की छोटी प्लेट से फिर बनेगा एक छोटा गोला,

अच्छा है इस में किरणें नही है,

इसी लिए चाँद बनाना ही सही है,

पर सफ़ेद आसमान में सफ़ेद चाँद कहीं न खो जाए!


कोई बात नही, आज आसमान सफ़ेद है, थोडी मस्ती हो जाए!

1 comment:

neha said...

finally a simple one! whew..!