Tuesday, April 21, 2009

रक्स - ऐ - बिस्मिल

यार को हमने जा बा जा देखा

कभी ज़ाहिर कभी छुपा देखा


हमसे अलग हो कर बिखर गया है,

उसे कभी यहाँ तो कभी वहां देखा ।


मिल गया जवाब के क्यूँ मनाया नही हमें,

आज उसे हमने ख़ुद से खफा देखा ।


The first couplet is from Raqs-e-bismil. But i have written my (harsh) version of it.

A beautiful version shall follow.

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