Monday, September 22, 2008

कुछ किया है!

मुझे मुश्किल नही है मुश्किल से,
आसानी से डर लगता है ।

सीखी, रची, फिर आदत बनाई,
हर मुश्किल आसान बनाई,
जब आसान हर मुश्किल है,
फिर पाने में क्या हासिल है,
कर जाने में जीत अगर है,
न कर पाने में क्या होगा?
पा जाने में जीत अगर है,
न पाने में क्या होगा?
गिर कर, उठ जाने में जीत अगर है,
न उठ पाने में क्या होगा?

'न आने' में ही कला है,
आ जाने पर एक नया खला है,
सुबह उठ चेहरा देखूं, तो कुछ अधूरा लगे,
विचलन हो मन में तो कुछ पूरा लगे,
मुश्किल हो तभी तो आसान करूंगा,
आसानी में सब सूना लगे ।

नही होगा, तभी करुँ मैं,
जब जी सकूं तभी मरूं मैं,
न चल पाऊँ, तभी चलूँ मैं,
न कर पाऊँ, तभी करुँ मैं,

मुश्किल नई नही तो जीना कैसा?
क्या कहूँगा कल ख़ुद को? क्या किया है?
साँसे तो चलती ही थी, क्या जिया है?

आसान है अंत तक जाना,
शुरुआत करुँ तो लगे कुछ किया है ।

3 comments:

Anonymous said...

HI SUN,
VERY THOUGHTFUL !!!!!!!!
NAD MAKES US THINK MORE REALLY TOO GOOD
SONY

Anonymous said...

beautifully put! simple thought yet so deep.

prasad said...

sach mein padhne ka dil karta hai..baar baar ..nice one