Monday, February 20, 2012

ये दुनिया है किसके पास

अरे यार ये दुनिया है किसके पास ?

आशिक़ तो कहते हैं उन्होंने छोड़ रखी है,
अपनी ही किसी और दुनिया में रहते हैं
उनके पास जिन्होंने इसे डुबा रखा है
रंगीले, बदमस्त पैमानों में ?
या उनके पास जो दुनिया भुला कर,
और ही किसी नशे से परस्त हैं ?

पंडितों और मुर्शदों से तो ये 'मसला' दूर ही रखो
हाँ भई 'मसला'
ज़रा सी बात पूछो तो 'मसला' बन जाता है
और ये तो यूँ भी बड़ा मसला है की
ये दुनिया है किसके पास ?

शायर ता-उम्र मुंह फेरते रहे
जाने किस दुनिया पे फ़ितने कसते रहे
उनकी नज़र से देखो तो हराम थी ये
पर शायर की नज़र का क्या ऐतबार ?
शायर तो उस नस्ल का है
जिसे नुख्स में मज़ा आता है
जब उसकी नहीं तो कैसे हक़ जताता है
के ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ?
ठोकर मारने का हक़ रखते हो तो बताओ
ये दुनिया है किसके पास ?

इंसानों के बाज़ारों में मिलती है क्या?
कितने की पड़ेगी?
मिल गयी तो कितना चलेगी?
गारंटी या छूट मिलेगी?

मैंने कहीं बिकते देखी तो नहीं
मगर मुझ में भी तो शायर वाला कीड़ा है
हक़ से लात मार सकता हूँ
पर ग़ालिब, साहिर, फैज़ के मुक़ाबले
मेरा वक़्त दूसरा है
उन जैसा पागल नहीं हूँ
और उनके जैसा, पूरा दिल के भरोसे नहीं
ज़रा सी अक्ल से काम लेता हूँ
इसी लिए तो कहता हूँ
के हक़ से लात मार सकता हूँ
मगर कोई कम्बख्त ये तो बता दे
के ये दुनिया है किसके पास
बस एक बार मिल जाए, तो छोड़ दूं ।

1 comment:

Garima said...

The last line is a KILLER!!!! fantastic fab this one is. munh mein paan dabaa kar kahi jaane wali baat kahi hai. mazaa aa gaya! vaise uss cheez ko laat maarna aasaan hai jiska koi ataa pataa nahin :-) meri maano ek ad daal do miyaan - "duniya lekar aane wale ko, inaam milegi muft saath...kas ke ek laat!" cheers to a "paan" wali poem!