जंग जायज़ इश्क़ गुनाह
जग ये छीन लेता है, जग से छीन लेता है
सुकूं नहीं ये कुसूर है
बेशुमार हो तो कर दे बेपनाह,
इलज़ाम जायज़, इश्क़ गुनाह
जो इश्क़ कर सके, वही बैर रख पाता है
जग से लड़ने की आदत में,
ख़ुद से, इश्क़ से रोज़ ये लड़ जाता है
लड़ने के सौ कारण, इश्क़ बेवजह
इलज़ाम जायज़, इश्क़ गुनाह
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