9GB Zindagi
शायर को उम्र से यूँ भी क्या चाहिए? इश्क़, ग़ुरूर और मजाल काफ़ी है
Tuesday, April 12, 2011
रात रहती है
चंद रातें जो आँखों में काटीं थीं,
याद उनकी हर बात रहती है,
जागी सी, चांदी सी,
आँखों के नीचे, अब हर वो रात रहती है ।
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