9GB Zindagi
शायर को उम्र से यूँ भी क्या चाहिए? इश्क़, ग़ुरूर और मजाल काफ़ी है
Wednesday, April 28, 2010
हीर
रांझा रांझा करदी नि मैं आपे रांझा होई,
रांझा रांझा सद्दो नि, मैनू हीर न आंखो कोई ।
ना ओदा मैं लेंदी हाँ,
मेरा सजदा हो जावे,
ना मेरा जो लेवां ते,
मन मैला हो जावे,
हीर ते कमली हो बैठी, मैनू हीर न आंखो कोई ।
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