शायर को उम्र से यूँ भी क्या चाहिए?
इश्क़, ग़ुरूर और मजाल काफ़ी है
Friday, December 9, 2011
चार दीवार
दर्द से बचने को, ख़ुद के चारों ओर, दीवार बना, छुप बैठा था, जब देखा के दर्द बगल में ही, कुर्सी डाले बैठा है, तो बदहवासी पे आई हंसी दीवार उठा के बैठ गए, छत क्या चाचा डालेंगे ?
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