Thursday, January 21, 2010

अधूरा ही पूरा है

अधूरा ही पूरा है ।

जुस्तुजू सी है आँखों को,
आरज़ू को पंख लगे,
धूल उड़ाते कारवां में,
हम खुद अपने संग चले,
मुकाम पर पहुँचने की जल्दी है,
मुकाम क्या है - पता नहीं,
सच का चेहरा धुंधला,
मट-मैला है, भूरा है
अधूरा ही पूरा है ।

कई सवालों के जवाब नहीं,
कहीं हक़ीक़त कम है,
कहीं ख़्वाब नहीं
लोग तराज़ू लिए बैठे हैं
आता उन्हें हिसाब नहीं,
नज़र को रोक पाए,
ऐसा कोई हिजाब नहीं,
हर उम्मीद अधपकी है,
हर बात अधूरी,
क्यूंकि अधूरा ही पूरा है ।

अंत एक पल है,
ता-उम्र ये सफ़र है,
हर रिश्ता अंत से जुड़ता है,
अंत से पहले ही वो ख़तम है
हर किसी का सच अलग है,
हर किसी का झूठ अधूरा है
अधूरे सारे जज़्बात छोड़ कर,
नए जज़्बात जन्म लेते हैं,
हर अधूरे रिश्ते से,
सब रिश्ता सा बना लेते हैं,
विश्वास पूरे से अब उठ चला है,
क्यूंकि अधूरा ही पूरा है ।

आधा सफ़र पूरा किया,
फिर घूम कर वही सफ़र दोबारा किया,
एक आधा जब दो बार किया,
समझा वो हो गया पूरा है
क्यूंकि अधूरा ही पूरा है ।

हर वादे में हम,
मुकर आये हैं,
जहाँ से शुरू किया था,
फिर एक बार
उधर आये हैं,
जितनी गहराई उतरी थी,
फिर एक बार
उभर आये हैं,
कई ख़्वाब अधूरे हैं,
कई जवाब अधूरे,
पर अधूरा ही पूरा है ।

1 comment:

neha said...

My hindi isn't great. But I'm speechless...