Wednesday, September 30, 2009

खून लगा है

शजर - - शौक़ पर खून लगा है ।

फिर कोई मौत हुई है शायद,
फिर टूटी है कोई हिदायत,
अब के शायद जूनून मरा है
शजर - - शौक़ पर खून लगा है

ये वाला किस अरमान का था
ये सिला किस फरमान का था
ये सौदा किसकी जान का था
किसकी झूठी शान का था
किसका ये नाखून लगा है
शजर - - शौक़ पर खून लगा है

काली ठंडक आंखों में थी,
केसर की महक साँसों में थी,
शहेद में लिपटी छुरी हो जैसे,
कसैली मिठास बातों में थी,
सुकून का ख्वाब दिखा कर,
सारा का सारा सुकून ठगा है
शजर - ऐ - शौक़ पर खून लगा है

हमने गंवाया है,
ग़म भी हमें नही,
किश्तें भी भरी थी,
मुहाफज़ा भी भरना है
चलो शजर पर कोई रंग तो चढा,
बेरंग सी ये वरना है,
बेहर्फ़ सी थी, कोई मजमून बना है
शजर - ऐ - शौक़ पर खून लगा है ।

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