Monday, June 9, 2008

आपकी याद

आपकी याद आती रही, रात भर,
चश्म-ऐ-नम मुस्कुराती रही, रात भर ।

रंग-औ-बू की पहचान हमें रही ता-उम्र,
सारी इल्म डगमगाती रही, रात भर।

वस्ल का वास्ता दिया हिज्र को,
तमन्ना मात खाती रही, रात भर ।

रंगत का सबब आईना पूछता रहा,
नाम तेरा झुठलाती रही, रात भर ।

अश्कों को धमका रखा था, तो,
चश्म--नम मुस्कुराती रही, रात भर

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