सालों पहले एक अधमरा दुबला सा आदमी
अगस्त की आधी रात, हांफता हुआ आया और बोला
"हम आज़ाद है"
मुट्ठी भर मुस्कुराते चेहरों में एक बच्चा भी था
येही कोई छे एक साल का
वो बोल पड़ा
"अब करना क्या है"
तो दुबला सा आदमी दो पल को चुप रहा
फिर बोला - "ये अब तुम जानो"
"अम्मा कल स्कूल में १५ अगस्त मना रहे हैं,
मुझे तिरंगे वाली कमीज़ पहना दो"
"नहीं बेटा - वो हम नहीं कर सकते, गैर कानूनी है"
"यार नौकरी तो काबलियत पे मिलती है न
या local भाषी होने से?"
"हर form में मज़हब का column तो होना चाहिए भाई
पता कैसा चलेगा वरना?"
"२८ साल की लड़की की शादी नहीं हुई तो ठीक नहीं है न? बेचारी "
"५ साल हो गए शादी को???? अब तक बच्चे नहीं हुए???"
"देख बेटा - अब तो तुझे कमाना चाहिए"
"कोई बीमारी है आपको? Heart की? Diabetes?
फिर Medical Insurance नही मिल सकता, sorry"
"पहले Learners' license फिर पक्का वाला"
"पर मुझे गाडी चलानी आती है। License खो गया था बस"
"राज्यों में बांटना चाहिए न देश को। नहीं तो पता कैसे चलेगा
मराठी कौन, बंगाली कौन, गुजराती कौन।
"नाम या उपनाम से मज़हब, मात्रभाषा, जात का पता तो लगना चाहिए भाई
पता तो चले के हम जिस से बात कर रहे हैं वो कहाँ का है"
"देश छोड़ कर जाना है तो सरकार से पूछना पड़ेगा न...
कल को वहां किसी को मार डाला तो?"
"राष्ट्रगान पे खड़े नहीं हुए तो उसकी इज्जत नहीं है समझो"
"लिखो, जो लिखना है लिखो
पर रामायण, महाभारत, गीता, चाचा चौधरी, पिंकी, बिल्लू
वगेरह पर सवाल न उठाना। ये हमारी संस्कृति है न"
"सुबह सुबह नहा लो"
"कितना भी कमाओ, savings ज़रूर करो"
"छोटे भाई/बहन की शादी का खर्चा तो करना ही पड़ेगा"
"कमाओ। returns भरो"
"Contract के हर पन्ने पे sign करो। Same sign"
"खिड़की तोड़ कर Balcony मत बनाओ। बिल्डिंग गिर सकती है।
"गाडी का Insurance तो हो जाएगा, पर plastic parts का नहीं है।
मतलब tyre, bumper, mirrors, handles, wheel caps, seats, dashboard, cladding...
बस इनका नहीं होगा"
"अरे लड़की भेज रहे हैं... उसके कपडे, बिस्तर, ज़ेवर सब साथ में भेजेंगे लड़कीवाले"
"जलो या दफ़न हो जाओ"
"हमने घिसा तुम भी घिसो"
"छोटे हो - सवाल मत पूछो"
"जो बड़ा वो ज्यादा समझदार। बस । बोल दिया न"
"शादी से पहले प्यार मत करो"
"शादी के बाद प्यार मत करो"
"प्यार किया? शादी मत करो"
"जितना कहा जाए उतना करो"
"१८ साल के बाद ही वोट करो"
हम आज़ाद है
1832 में बने british rule के तहत
हम आज़ाद है
1947 में हुई एक छोटी से amendment के तहत
हम आज़ाद हैं
चलो अब जहाँ भी हो
तिरंगे को सलाम करो ।
Wednesday, August 15, 2012
Saturday, August 4, 2012
ग़ज़ब किया
ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया
ये शायद साँसों से कोई राब्ता रह गया
के यूँ तो हमें चलता मज़ार किया
बेबसी ख़ुद की पर फ़ितने कसते हैं हम
अपनी मायूसी पे ख़ुद अशआर किया
नींदों ने अब दस्तक भी न बख्शी
के इतना हमने उन्हें बेदार किया
हम तन्हा हसरत-ए-वस्ल लिए जागते रहे
बयान-ए-फ़ुर्कत उन्होंने सर-ए-बाज़ार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया
ये शायद साँसों से कोई राब्ता रह गया
के यूँ तो हमें चलता मज़ार किया
बेबसी ख़ुद की पर फ़ितने कसते हैं हम
अपनी मायूसी पे ख़ुद अशआर किया
नींदों ने अब दस्तक भी न बख्शी
के इतना हमने उन्हें बेदार किया
हम तन्हा हसरत-ए-वस्ल लिए जागते रहे
बयान-ए-फ़ुर्कत उन्होंने सर-ए-बाज़ार किया
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