Saturday, January 28, 2012

गिद्ध

क्यूँ बन्दे क्यूँ तू, गिद्धों से घबराता है
जीते - जी जब हर कोई तुझको, नोच नोच के खाता है ।

Sunday, January 1, 2012

वापिस दे जा

सुन बे, जाते जाते 2-4 दिन,
और चंद घंटे वापिस दे जा ।

ज़ाहिर सी बात है,
मुझे जो चाहिए,
तू भी जानता है
एक आधा phone call होगा,
और शायद हर मौसम के कुछ पल
एक किताब जो आधी पढ़ी होगी,
एक जो आधी लिखी होगी,
तू क्या करेगा इनका?
ये तो मेरे हैं टंटे, वापिस दे जा ।

तेरे आने पे जो वादे किये थे मैंने,
शराफ़त से लौटा देना,
साल की पहली तारीख़ को ज़रुरत होगी मुझको,
तेरी तरह इसे भी बेवकूफ़ बनाना है
के इस साल तो वज़न घटाना है
ये सब मेरे हैं टंटे, वापिस दे जा

अब ज़मींदारों की तरह मत पूछना,
"इतना वापिस दूंगा तो बदले में क्या लूँगा ?"
क्यूंकि जो 12 महीनों में ले लिया है तूने,
उसका हिसाब शुरू कर दिया तो
साले नंगा वापिस जाएगा ।
शराफ़त से, कपड़े रहते, वापिस दे जा ।